“न तस्य रोगो न जरा न मृत्युः प्राप्तस्य योगाग्रिमयं शरीरम्”
अर्थात् योगाभ्यास से तपा हुआ शरीर रोग , जरा एवं मृत्यु से मुक्त हो जाता है।
श्वेताश्वतरोपनिषद्, अध्याय-2
आज पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या है । हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 11 दिसंबर2014 को एक प्रस्ताव स्वीकार कर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग - दिवस के रूप में घोषित किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर योग के असंख्य लाभों के विषय में सम्पूर्ण संसार में जागरुकता फैलाना है ।
योग विश्व को भारतवर्ष का अद्भुत उपहार है और आज यह एक वैश्विक आन्दोलन का रूप ले चुका है । योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना । योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय में कहा है -
"तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्”
अर्थात् जो दुःख के संयोग से रहित हैं उसी का नाम योग है । यह शारीरिक , मानसिक एवं आध्यात्मिक अभ्यास है जो शरीर और आत्मा को एकीकृत करता है । इसमें इन्द्रिय,प्राण, मन एवं बुद्धि का नियमन होता है । वस्तुतः स्वस्थ शरीर और श्रेष्ठ मेधा ही हमें एक बेहतर नागरिक के रूप में परिष्कृत करती है ।
योगसूत्र के रचयिता महर्षि पतंजलि ने योग को व्याख्यायित करते हुए कहा है – “योगश्चित्तवृत्ति- निरोघः” अर्थात् चित्तवृत्तियों का निरोध ही योग है । यह हमारे चित्त में विषयों की उत्पत्ति को रोकता है । योग जहाँ हमारे तन को स्वस्थ रहता है वही मन को प्रसन्न । प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरु गोरखनाथ जी के शब्दों में कहा जाए तो - योगी योग कमावे, योग योग में रमझ अपेचीं, लख परमानन्द पावे ।
विश्वभर में आज योग विभिन्न रूपों में प्रचलित है । सामान्य तौर पर आसन और प्राणायाम को ही योग माना जाता है लेकिन वास्तविकता यह है कि ये दोनों योग के विराट स्वरुप के सिर्फ दो अंग हैं । हमारे शास्त्रों में अष्टांग –योग की अवधारणा है । योग के आठ अंग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम , प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं । इनमें से यम योग का प्रथम सोपान है । सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यम के ही रूप हैं । योग का दूसरा सोपान नियम है जिसको शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय एवं ईश्वर-प्रणिधान के रूप में जाना जाता है । इस तरह शौच अर्थात् स्वच्छता भी एक योग ही है । माननीय प्रधानमन्त्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान का संकल्प भी इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है ।
इसलिए आज पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग-दिवस के उपलक्ष्य पर मैं अपने प्रदेशवासियों विशेषकर बाल - मित्रों एवं युवा-साथियों का आह्वान करना चाहता हूँ कि आइए हम सब भारतीय योग को अपनी दिनचर्या और जीवन शैली का अभिन्न अंग बनाएँ । अपने गांव , कस्बे तथा शहर जहाँ भी हों, वहीं अपने मित्र, परिजन और सहपाठियों के साथ योग करना आरम्भ करें । हम सत्य, अहिंसा, अस्तेय ( चोरी न करना ) एवं ब्रह्मचर्य के रूप में यम का अनुसरण करें तथा शौच ( स्वच्छता ), संतोष, तप ( कठिन परिश्रम ) और स्वाध्याय जैसे नियमों का नियमित पालन करें । अपने व्यस्ततम समय में से कुछ क्षण निकालकर आसन और प्राणायाम करें । मुझे विश्वास है कि निश्चय ही योग हम सभी के जीवन में नई ऊर्जा एवं स्फूर्ति का संचार करेगा ।
नया भारत , स्वस्थ भारत ।