आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में नीति आयोग की शासी परिषद की पांचवी बैठक राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में 15 जून 2019 को सम्पन्न हुई। केन्द्रीय मंत्रीगण, अन्य मुख्यमंत्रीगण, नीति आयोग के उपाध्यक्ष तथा अन्य उपस्थित विशिष्ट महानुभावों के साथ ही मेरे द्वारा भी इस बैठक में प्रतिभाग किया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी के संकल्प ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ की अवधारणा के अनुरूप जन आकांक्षाओं को पूरा करते हुये प्रदेश को समृद्ध एवं सर्वोत्तम प्रदेश बनाने के लिये कृतसंकल्पित है। प्रदेश सरकार को हर क्षेत्र में केन्द्र सरकार का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है और प्रदेश सरकार सभी वर्गों, विशेष रूप से किसानों, नौजवानों, महिलाओं, गरीबों, वंचितों, शोषितों एवं समाज के उपेक्षित वर्ग के लोगों के लिए कार्य कर रही है। सरकार के इस कदम से इन वर्गों में आत्मसम्मान व स्वाभिमान की भावना जागृत हुई है और उनका विश्वास प्रगाढ़ हुआ है कि विकास गतिविधियों में वे बराबरी का दर्जा प्राप्त कर सकेंगे। राज्य सरकार ने प्रदेश की जनता के सर्वांगीण विकास के लिये अभूतपूर्व कदम उठाए हैं।
किसानों के लिए बाजार को व्यापक एवं बहुउपयोगी बनाने के लिए मण्डी अधिनियम में संशोधन किया गया। संशोधित अधिनियम में किसानों के खेत से थोक में सीधे खरीद की व्यवस्था, किसानों को अपने उत्पाद पूरे देश में कहीं भी बेचने की व्यवस्था की गई है। किसान अपना उत्पाद देश में कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र है। यूनीफाइड लाइसेंस से व्यापारियों को पूरे प्रदेश की किसी भी मण्डी में क्रय-विक्रय करने की सुविधा प्रदान की गयी है। सरकार ने निजी क्षेत्र में भी मण्डी स्थापित करने की व्यवस्था की है। इसके साथ ही प्रदेश में ई-ट्रेडिंग की व्यवस्था लागू है तथा मण्डियों को ई-मण्डी के रूप में परिवर्तित करते हुये डिज़िटल भुगतान की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा मण्डी शुल्क को 1 लाख रुपए से घटाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है। प्रदेश सरकार ने फामर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन से गेहूं की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है तथा वर्तमान में ऐसे 100 केन्द्र संचालित हैं। कोल्ड स्टोरेज, साइलो, वेयरहाउस आदि स्थानीय विक्रय स्थलों को सब मार्केट यार्ड घोषित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त पूरे प्रदेश में एक ही स्थान पर लेवी लिये जाने की व्यवस्था की गई है।
उत्तर प्रदेश के भूमि रिकार्ड को पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया है तथा समस्त भू-लेख रिकार्ड, भू-लेख पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपना भू-अभिलेख डाटा, भू-अभिलेख की जानकारी आदि प्राप्त कर सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध विकास के क्षेत्र में अनेक प्रकार की पहल की जा रहीं है, जिसमें मुख्य रूप से मिल्क जोन का निर्धारण, आधुनिक तकनीक युक्त सुदृढ़ विपणन व्यवस्था के साथ-साथ तकनीकी उन्नयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं।
प्रदेश के चिन्हित 8 महत्वाकांक्षी जनपदों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु इन जनपदों में रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरने की कार्यवाही सुनिश्चित की गयी है। प्रदेश के कई जनपदों ने नीति आयोग द्वारा की जाने वाली मासिक रैंकिंग में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त किया है और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है। इसके अतिरिक्त बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणित में जनपदों द्वारा उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की गयी है, परिणामस्वरूप नीति जनपदों में बच्चों में भाषा से 17 प्रतिशत तथा गणित में 15 प्रतिशत की वृद्धि पाई गयी है।
महत्वाकांक्षी जनपदों में शिक्षा के क्षेत्र में शत-प्रतिशत छात्र नामांकन के लिये विशेष प्रयास किये गये हैं। जनपदों में 'स्कूल चलो अभियान' को जन आन्दोलन के रूप में चलाया गया है। इन जनपदों में प्रदर्शन स्कूलों और बच्चों के अनुकूल पुस्तकालय स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा, महत्वाकांक्षी जनपदों में बीते वित्तीय वर्ष में 10 हजार से अधिक नये शिक्षकों की तैनाती की गयी है। प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर शिक्षा मित्रों को सम्मिलित करते हुये छात्र शिक्षक अनुपात 25ः1 तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर अनुदेशकों को सम्मिलित करते हुये छात्र शिक्षक अनुपात 29ः1 हुआ है। इसके अतिरिक्त, महत्वाकांक्षी जनपदों में चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है।
इस समय विभिन्न संवर्ग के चिकित्सकों के स्वीकृत पदों में से 91 प्रतिशत चिकित्सकों के पद भरे हुये हैं। इन जनपदों में 16 मोबाइल यूनिट कार्यरत हैं, इनके द्वारा माह मई 2019 तक कुल 37175 लाभार्थियों को सेवायें प्रदान की जा चुकी हैं। इसके अलावा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रति जनपद 3 मोबाइल इम्यूनाइजेशन वाहन क्रियाशील हैं।
कृषि निवेश पर देय अनुदान को डी0बी0टी0 के माध्यम से भुगतान करने वाला उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य बना है। विगत दो वर्षों में 50 लाख से अधिक किसानों को डी0बी0टी0 के माध्यम से 1200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे उनके खाते में भेजी गयी है। कृषकों को कृषि की नवीनतम तकनीक से प्रशिक्षित कराने हेतु किसान पाठशाला (द मिलियन फार्मर्स स्कूल) का आयोजन वर्ष 2017 से किया जा रहा है। अब तक लगभग 30 लाख से अधिक कृषकों को लाभान्वित किया गया। इस वर्ष 10 लाख से अधिक कृषकों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 2018 में पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का ‘कृषि कुम्भ’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों से 01 लाख से अधिक कृषकों द्वारा सहभागिता की गई। इसके अतिरिक्त प्रदेश में अब तक लगभग 3 करोड़ 42 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण किया जा चुका है। शेष को जून, 2019 तक कार्ड सुलभ करा दिये जायेंगे।
प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की मदद के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है। वर्तमान एवं पिछला बकाया मिलाकर अब तक कुल 68 हजार 463 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। गत दो वर्षों में प्रदेश में 2 हजार लाख मीट्रिक टन से अधिक गन्ने की रिकार्ड पेराई की गई जो पूर्व की दो वर्षों की कुल पेराई 1 हजार 473 लाख मीट्रिक टन से 45 प्रतिशत अधिक है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सिंचन क्षमता बढ़ाने के लिए वर्ष 2017-18 से मार्च, 2019 तक 8384 खेत तालाबों का निर्माण कराया गया। इस वर्ष बुन्देलखण्ड के जनपदों में 6558 खेत तालाबों का निर्माण कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश में कई दशकों से निर्माणाधीन बाण सागर नहर परियोजना का निर्माण युद्ध स्तर पर पूर्ण कराकर जुलाई, 2018 में प्रधानमंत्री जी से इसका लोकार्पण कराया गया है। जिससे 1.50 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा अभियान चलाकर सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा मध्य गंगा नहर परियोजना द्वितीय चरण को दिसम्बर, 2019 तक पूर्ण कराकर जनता को समर्पित किया जाएगा। इससे 4.50 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की विभिन्न नदियों पर लगभग 4 हजार किलोमीटर लम्बाई के 523 तटबन्धों पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य करा लिए गए हैं। प्रदेश में विलुप्त हो रही नदियों के पुनर्जीवन एवं संरक्षण हेतु 8 नदियां चिन्हित कर उन पर कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है।
नीति आयोग की बैठक में मैंने सुझाव दिया कि किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सूखा घोषित क्षेत्रों में फसल क्षति की सीमा को 33 प्रतिशत की सीमा से कम करते हुये 20 प्रतिशत कर दिया जाए। इसके अलावा बाढ़ की विभीषिका के समय बाढ़ मेमोरेण्डम के आधार पर परिसम्पत्तियों के रेस्टोरेशन हेतु यदि भारत सरकार द्वारा एक माह के अंदर निरीक्षण कराकर राज्यों को अपेक्षित सहायता प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर दी जाये तो इससे राज्यों को राहत मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त आग्रह किया कि एस0डी0आर0एफ0 के अंतर्गत राहत के विभिन्न मदों में वर्तमान में देय सहायता को बढ़ाया जाना उचित होगा।
यह भी सुझाव दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण व्यवस्था को फसल के स्थान पर भूमि क्षेत्रफल के आधार पर बनाये जाने से किसानों को अधिक साख सीमा उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त, पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उचित दर विक्रेताओं द्वारा ई-पॉस मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि ई-पॉस मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण किये जाने के परिणामस्वरूप सब्सिडी की होने वाली बचत में से कुछ अंश कोटेदारों को अनुमन्य लाभांश/मार्जिन मनी की धनराशि बढाने पर विचार किया जाना समीचीन होगा।
प्रदेश के नक्सल प्रभावित सोनभद्र व चन्दौली जनपदों में तैनात 03-03 सी0आर0पी0एफ0 कम्पनियों की वापसी के आदेश गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिये गये हैं। इस क्षेत्र में नक्सली संचरण पर अंकुश लगाये जाने हेतु अभी भी इनकी नितान्त आवश्यकता है। अतः इनकी वापसी के आदेश पर विचार युक्ति संगत होगा। मुझे विश्वास है कि केन्द्र तथा राज्य सरकार के समन्वित प्रयास प्रदेश की समस्याओं का ससमय निराकरण करने तथा प्रदेश को नई उँचाइयों पर ले जाने में सहायक होंगे।